बिलासपुर में सिम्स के किचन शेड को बनाया वैक्सीनेशन रूम, गंदगी के बीच खाना बनाने को मजबूर स्वजन

रोजाना 30 से 40 जल रहे चूल्हे, प्रबंधन भी नहीं दे रहे ध्यान कुछ साल पहले मुख्य गेट के सामने वाहन पार्किंग रोड में गंदगी के बीच खाना बनाना पड़ रहा था। ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचने वाले मरीजों के स्वजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बिलासपुर।। सिम्स प्रबंधन ने कोरोना काल के दौरान किचन शेड को वैक्सीनेशन हाल बनवा दिया। तब से मरीज के स्वजनों को खाना बनाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। मजबूरी में नाली किनारे या गंदगी के बीच खाना बनाते हैं। इस दौरान कई बार बाहर से कुत्ते व मवेशी भी चूल्हे तक पहुंच जाते है। कई बार गाय हरी सब्जियों को खा भी चुकी है।

सिम्स में ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचने वाले मरीजों के स्वजन को कई सारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए खाना बनाने तक का जगह नहीं है। स्वजन खुले आसमान के नीचे और गंदगी के बीच खाना बनाने को मजबूर हैं। सिम्स संभाग का सबसे बड़े सरकारी अस्पताल होने के कारण पांच जिलों समेत मध्यप्रदेश राज्य से भी मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं। वार्डों में भर्ती मरीजों को तो सिम्स प्रबंधन की ओर से भोजन मिल जाता है। लेकिन उनके स्वजन को खाना देने की व्यवस्था नहीं है।

इसलिए स्वजन को खाना बनाना पड़ता है। कुछ साल पहले मुख्य गेट के सामने वाहन पार्किंग रोड में गंदगी के बीच खाना बनाना पड़ रहा था। अब उसमें भी वैक्सीनेशन कक्ष निर्माण कराकर प्रतिबंध कर दिया गया है। अब एमआरडी के पास नालियों और बाथरूम के पास खाना बनाने पड़ रहा है। यहां सफाई भी नहीं होती है। जिसके कारण चारों तरफ कूड़ा कचरा फैला रहता है।

इसकी वजह से मरीजों के स्वजन के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। सिम्स में रोजाना औसतन 30 से 40 लोगों को अपने लिए खाना बनाना पड़ता है। दूर दराज से आने वाले गरीब परिवार के स्वजन खाना खरीदकर भी नहीं खा पाते हैं। होटलों में खाना के नाम पर मन मुताबिक पैसा वसूला जा रहा है। दूसरी ओर सिम्स प्रबंधन की ओर से खाना बनाने के लिए कोई विकल्प तलाशा नहीं जा रहा हैं। इसका खामियाजा स्वजन भुगत रहे हैं।

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